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आसान सी ज़िन्दगी को ज़रा सा मुश्किल करते है
चलो एक बार फिर से इश्क़ करते हैं
क्या छूटा किससे छूटा ये सबकुछ परे रखते हैं
किसे थामा है किसने संभाला है उसकी परवाह करते हैं
रातों को ज़माने की फिक्र से दूर फिर किसी की यादों के हवाले करते हैं
चलो एक बार फिर से इश्क़ करते हैं
बिखरे से हैं टुकड़े दिल के, समेटना तो पड़ेगा ना
मुझे परवाह करनी है खुद की, ज़माने का क्या वो तो हँसेगा ना
खुद को खुद की कैद से आज़ाद करते हैं
चलो एक बार फ़िर इश्क़ करते हैं....