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बहुत से सवाल हैं ज़ेहन में
पर अब पूछने का मन नहीं करता
हर रिश्ते में कड़वाहट घुल रही है जानती हूँ
पर अब अकेले जूझने का मन नहीं करता
हर रास्ते पे ठोकर मिल रही है
पर अब रुकने का मन नहीं करता
अपनो से प्यार बहुत है मुझे
पर अब गलत बातों में झुकने का मन नहीं करता
नासमझ बन बैठें हैं जो करीबी
उन्हें समझाने का मन नहीं करता
हालात बेतरतीब हैं मेरे जानती हूँ
पर इनसे हार जाने का मन नहीं करता
बिखर रही है ज़िन्दगी तिनका तिनका
पर अब समेटने का मन नहीं करता
सबको संभालते संभालते खुद को खो दिया है
अब कुछ भी सहेजने का मन नहीं करता