➥
गुनगुनाता है ये दिल उसकी चाहत में
इस दिल को खामोश क्यों करूँ
मैं जानती हूँ वो नहीं है मेरा
फिर उसके ना मिलने का अफसोस क्यों करूँ
छोटी छोटी बातों का ख्याल रखता है वो
पर बड़ी बड़ी बातें भूल जाता है
नाराज़ अक्सर हो जाता है वो मुझसे
पर मैं रूठ जाऊं तो उसे मनाना कहाँ आता है
मेरे ख़यालों के हर हिस्से में है वो
फिर उससे मिलने की ख्वाहिश हर रोज़ क्यों करूँ
मैं जानती हूँ वो नहीं है मेरा
फिर उसके ना मिलने का अफ़सोस क्यों करूँ....