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ये शहर तुम बिन सुना पड़ा है

कैसी हो तुम?
ठीक हूँ! और तुम?
मैं भी उसी तरह हूँ ,
जिस तरह सूरज ढल रहा है
मतलब? मैं समझी नहीं!
फूल के बदले काँटे चुन लिए,
अब चुभ रहा है!!!
बातें बनाने लगे हो आजकल,
बहुत पहले बिगाड़ चुका हूँ!
वक्त बीत चुका है अब
शायद हाँ, पर मैं तो अब भी वहीं खड़ा हूँ!!!
बदले नहीं तुम अब तक!
हाँ, पर काफी कुछ बदल चुका है
खैर छोड़ो, तुम बताओ कब तक आओगी?
काफी दूर आ चुकी हूँ, वक्त लगेगा
आ ही जाना याद से, ये शहर तुम बिन सुना पड़ा है!
इतना फ़र्क पड़ता है तुम्हें?
मेरी तो हर आदत जानती हो तुम
तुम्हें बताना कब पड़ा है,
बस आ ही जाना याद से, ये शहर तुम बिन सुना पड़ा है!!!


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