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Showing posts from January, 2021

ᏕᏬᏦᎧᎧℕ #8

➥ Haan ni chahiye mujhe sath tera.. Kyuki tere lafzon pe to wo baat kabhi aayi hi nhi Kyun karun ummiden tujhse, tu khud bta Apne hisse ki yaari to tune kbhi nibhayi hi nhi...  Hr baar mne hi to smjha tujhe... Kbhi tune to himakat dikhayi nhi.. Kyun hr baar teri khamoshi me sunun wo baatein Jo tune kbhi mujhko btayi hi nhi...             

ᏕᏬᏦᎧᎧℕ #7

➥ Koi baat nhi wakt sbka aata h to Daur apna bhi aayega Aaj berukhi se mujhe bura lgta h Kl dil tumhara bhi bhar aayega Ajeeb si uljhan hogi ki kash kah diya hota uss wakt   or Milegi tumko rihaai nhi Abhi bhi wakt h sambhal jao Fir naa kahna ..           "tune ye baat phle btayi nhi...           

ᏕᏬᏦᎧᎧℕ #6

➥  Kyun khud ko roke rakhun bta Kbhi tune koi parwah dikhai nhi Yhan kisi k sath rhun yaa wahan Tune to koi narazgi jatai nhi Kyun maanu m tujhe farq pdta h Jb iss baat pe tune kari ladai nhi Jb kisi or ne pkda hath mera Or tune mangi koi safai nhi..

ᏕᏬᏦᎧᎧℕ #5

➥ गुनगुनाता है ये दिल उसकी चाहत में  इस दिल को खामोश क्यों करूँ मैं जानती हूँ वो नहीं है मेरा फिर उसके ना मिलने का अफसोस क्यों करूँ छोटी छोटी बातों का ख्याल रखता है वो पर बड़ी बड़ी बातें भूल जाता है नाराज़ अक्सर हो जाता है वो मुझसे पर मैं रूठ जाऊं तो उसे मनाना कहाँ आता है मेरे ख़यालों के हर हिस्से में है वो फिर उससे मिलने की ख्वाहिश हर रोज़ क्यों करूँ मैं जानती हूँ वो नहीं है मेरा फिर उसके ना मिलने का अफ़सोस क्यों करूँ....             

ᏕᏬᏦᎧᎧℕ #4

➥ आसान सी ज़िन्दगी को ज़रा सा मुश्किल करते है चलो एक बार फिर से इश्क़ करते हैं क्या छूटा किससे छूटा ये सबकुछ परे रखते हैं किसे थामा है किसने संभाला है उसकी परवाह करते हैं रातों को ज़माने की फिक्र से दूर फिर किसी की यादों के हवाले करते हैं चलो एक बार फिर से इश्क़ करते हैं बिखरे से हैं टुकड़े दिल के, समेटना तो पड़ेगा ना मुझे परवाह करनी है खुद की, ज़माने का क्या वो तो हँसेगा ना खुद को खुद की कैद से आज़ाद करते हैं चलो एक बार फ़िर इश्क़ करते हैं....

ᏕᏬᏦᎧᎧℕ #3

➥ बहुत से सवाल हैं ज़ेहन में पर अब पूछने का मन नहीं करता हर रिश्ते में कड़वाहट घुल रही है जानती हूँ पर अब अकेले जूझने का मन नहीं करता हर रास्ते पे ठोकर मिल रही है पर अब रुकने का मन नहीं करता अपनो से प्यार बहुत है मुझे पर अब गलत बातों में झुकने का मन नहीं करता नासमझ बन बैठें हैं जो करीबी  उन्हें समझाने का मन नहीं करता हालात बेतरतीब हैं मेरे जानती हूँ पर इनसे हार जाने का मन नहीं करता बिखर रही है ज़िन्दगी तिनका तिनका पर अब समेटने का मन नहीं करता सबको संभालते संभालते खुद को खो दिया है अब कुछ भी सहेजने का मन नहीं करता

ᏕᏬᏦᎧᎧℕ #2

➥ जो छूट गया उसका गम कैसा तुम और मै की लड़ाई थी जहाँ  वहां पे हम कैसा तकलीफ तो उसे भी हुई होगी एकतरफा ज़ज़्बातों में भी ये वहम कैसा टिस सी उठती है जो उसे सहना भी सीखा है दिल और दर्द के खेल में रहम कैसा....         

ᏕᏬᏦᎧᎧℕ #1

➥ कदर तुम्हें भी होगी जिस दिन मुझे खो दोगे फिकर तुम्हें भी होगी जिस दिन मुझे ना देखोगे बेअसर नहीं होगा इतना भी वज़ूद मेरा तकलीफ तो तुम्हें भी होगी जिस दिन मुझे जाने दोगे तड़प तुममे भी होगी जिस दिन मुझे सोचोगे पागल तुम भी होगे जिस दिन मुझे खोजोगे पलकें तुम्हारी भी गीली होंगी जिस दिन मुझे चाहोगे घबराहट तुम्हें भी होगी ना जिस दिन मुझे पाओगे तन्हाई सी लगेगी सबकी मौज़ूदगी भी जब तुमको शायद तुम भी रो दोगे कदर तुम्हें भी होगी जिस दिन मुझे खो दोगे।।।